आप यदि नौकरी छोड़कर अपना ख़ुद का व्यापार शुरू करने के बारे में सोचेंगे तो किस तरह का व्यापार करना चाहेंगे? आज जहाँ भारत में सरकार ने भी वोकल फ़ॉर लोकल का नारा बुलंद किया है, उद्यमियों के लिए लोन आदि में काफ़ी छूट और सुविधाएँ दे दी हैं, ऐसे में भी क्या हममें से कोई ऐसा होगा जो यह सोचे कि क्यों ना जंगल लगाने को भी अपना व्यापार बनाया जाए?
ऐसा सोचा शुभेंदु शर्मा ने। शुभेंदु टोयोटा प्लांट में इंडस्ट्रियल इंजीनियर रह चुके हैं। उसी प्लांट के किसी हिस्से में जब पर्यावरणविद अकीरा मियावकी एक छोटे से जंगल का निर्माण करने आए, तो शुभेंदु ने भी उस प्रॉसेस में वोलेंटियर की भूमिका निभाई। जिससे उन्हें यह अहसास हुआ कि यह काम कितना ज़रूरी है प्रकृति के लिए। अधिकांश बंगलों में बगीचे के लिए जगह छोड़ी जाती है, तो क्यों ना उन बगीचों की जगह छोटे निजी जंगल तैयार किए जाएं।
नौकरी छोड़ने के बाद शुभेंदु ने सबसे पहला एक्सपेरिमेंट अपने घर के बैकयार्ड में किया और एक साल के भीतर एक छोटा सा सघन जंगल वहाँ तैयार था। इसके बाद शुभेंदु ने एक वर्ष तक इस पूरी प्रक्रिया पर खोजबीन की, कुछ फ्लोचार्ट्स बनाए और 2011 में Afforestt नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की।
उनकी इस कंपनी द्वारा अबतक 10 देशों के 44 शहरों में 138 जंगल लगाए जा चुके हैं। जिनमें 450026 वृक्ष हैं। इनमें चार प्रकार के वृक्ष लगाए जाते हैं। जिसमें अलग-अलग ऊँचाई और प्रजाति के वृक्ष होते हैं। ये सभी पौधे स्थानीय मिट्टी का परीक्षण कर, स्थानीय जलवायु और प्रजातियों को ध्यान में रखकर लगाए जाते हैं। शुभेंदु का कहना है कि यह सभी आईडिया उन्हें टोयोटा प्लांट के उस फॉर्मेशन से आया जिसमें वहाँ गाड़ियां बनाई जाती थीं।
जशपुरनगर में भी वैदिक वाटिका और नगरपालिका ने मिलकर एक छोटा सा सघन वन तैयार करने की कोशिश की है. यह वन मोडिफाइड मियावाकी पद्धति से तैयार किया जा रहा है। छोटी जगह में पास-पास, अलग-अलग प्रजाति के पेड़ लगाए जाते हैं, जिससे एक सघन वन तैयार होता है। आज जहाँ हमें जीव-जंतु मात्र चिड़िया-घरों में दिखते हों, वहां इस तरह के सघन वन, नगरों में फिर से मानव और जंतुओं की मित्रता के लिए एक उम्मीद होंगे।
इन वनों में अलग-अलग प्रजाति के फलों के पौधे भी लगाए जाते हैं, जो बिना किसी एक्स्ट्रा मेहनत के आपको मीठे सीज़नल फल दे सकते हैं। यह पद्धति पूरी तरह जैविक प्रक्रिया से काम करती है। तो अगली बार यदि आप अपने घर, ऑफिस कैम्पस, स्कूल, कॉलेज या कहीं भी कोई छोटा सा जंगल उगाने के बारे में सोचें तो शुभेंदु से संपर्क कर सकते हैं।
Written by
Ankita Jain
Ex Research Associate, Author, Director at Vedic Vatica (Organic Agro Firm)
Picture Courtesy: Internet