ये हैं 45 वर्षीय मोइरंगथेम लोइया। जो इम्फाल के उरिपोक खाइदेम लेइकै के निवासी हैं।

एक ओर जहाँ जंगल तेज़ी से काटे जा रहे हैं, वहाँ मोइरंगथेम ने पिछले 18 वर्षों में 300 एकड़ में एक पूरा जंगल खड़ा कर दिया। जिसका नाम है पुनशीलोक माने “स्प्रिंग ऑफ लाइफ”।

2000 में जब वे पढ़ाई पूरी करके घर वापस लौटे तो उन्हें सेनापति जिले के कोबरु पीक से वह हरियाली और जंगल ग़ायब दिखे जिनमें वे बचपन में जाया करते थे। इस बात ने मोइरंगथेम को विचलित किया और उन्होंने तय किया कि वे इस जगह की हरियाली वापस लाएंगे। उन्होंने लोकल्स की सहायता से ज़मीन तलाशनी शुरू की जो उन्हें मारू लोंगल की पहाड़ियों में मिली। उस समय इस स्थान पर एक भी पेड़ नहीं बचा था। धान की खेती के लिए इस पूरे इलाके को जलाकर खेत बना लिए गए थे।

मोइरंगथेम ने वहीं से शुरुआत की। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की अपनी नौकरी छोड़कर उन्होंने कुछ कपड़े और ज़रूरी सामान लिया और निकल गए। एक झोंपड़ी बनाई और छः वर्षों तक उसी में रहकर पेड़ लगाने शुरू किए। ओक, बाँस, कटहल आदि कई प्रजातियों के वृक्ष उन्होंने लगाए। आज 18 वर्ष के बाद वहाँ एक भरा-पूरा जंगल तैयार है।

इस काम में उन्होंने अपने दोस्तों और कई दूसरे वोलेंटियर्स की मदद ली। प्रकृति के इस सुंदर विस्तार से वहाँ के लोकल्स ने भी वातावरण में बड़ा बदलाव महसूस किया। पुनशिलोक में ना सिर्फ वृक्ष बल्कि वन्य जीवन भी स्थापित हो गया है। इस सबकी सुरक्षा के लिए मोइरंगथेम ने एक संस्था भी बनाई है।

आसपास बनने लगे घरों को हटाकर प्रशासन ने भी मोइरंगथेम की मदद की है ताकि यह जंगल स्वच्छ और सुरक्षित, सिर्फ प्रकृति के लिए रिज़र्व रहे।

 

हममें से कितने लोग मोइरंगथेम के बारे में जानते थे? इतने वर्षों में हमें हर दंगे की मिनट-मिनट की अपडेट मिल जाती है लेकिन इस तरह की सकारात्मक ख़बरें मीडिया में सिर्फ एक कोना पाती हैं। इन पर डिबेट्स नहीं होतीं, न ही स्टेटमेंट्स ज़ारी किए जाते हैं जो हमें ऐसा ही करने के लिए उकसा सकें, क्योंकि पॉज़िटिव ख़बरें वायरल नहीं होतीं।

~Ankita Jain

Ex Research Associate, Author, Director at Vedic Vatica (Organic Agro Firm)

 

Photo Courtesy-  Internet

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