‘मंज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके इरादों में जान होती है
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’
अगर आपके इरादे मज़बूत और हौसले बुलंद हों तो कोई भी ताकत आपको अपनी मंज़िल तक पहुँचने से नहीं रोक सकती। इस बात की सबसे बड़ी मिसाल बनकर दिखाया है बिहार के एक छोटे से गाँव में रहने वाले मोहम्मद अरबाज़ ने। जिन्होंने ज़िंदगी की विषम परिस्थितियों के बावजूद, अपने दृढ़ निश्चय और अपनी मेहनत से 2017 में IIT JEE की परीक्षा में 67 All India Rank प्राप्त की।
बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे अरबाज़ के पिता अंडे का ठेला लगाया करते थे। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि कई-कई दिन तक, अरबाज़ और उसके परिवार के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं होता। 6 भाई-बहनों में सबसे बड़े न होने के बावजूद अरबाज़ को हमेशा से अपने परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास रहा। वो अंडे की दुकान पर बैठते और समय मिलने पर वहीं अपनी पढ़ाई करते।
अरबाज़ को पढ़ने का बहुत शौक था और वो पढ़ाई में बहुत तेज़ थे। बचपन में सबसे पहले उन्होंने उर्दू की तालीम ली। उनके पिता जी ने, धन के अभाव में भी किसी तरह सरकारी स्कूल में उनका दाखिला कराया, जहाँ पढ़ने के लिये पुस्तकें तो निःशुल्क मिलती थीं लेकिन लिखने के लिये कॉपी नहीं, तो वो कभी अखबार तो कभी स्लेट पर लिखकर अपनी पढ़ाई करते।
दसवीं कक्षा में तो अरबाज़ के पास फॉर्म भरने तक के पैसे नहीं थे, उन्हें लगा कि उनके पढ़ने का सपना अब अधूरा ही रह जायेगा, लेकिन उनके शिक्षकों ने उनकी सहायता की। और अरबाज़ ने अपने शिक्षकों का विश्वास कायम रखा और मैट्रिक में टॉप करके दिखाया। लेकिन अब आगे पढ़ने के लिए अरबाज़ के पास न तो पैसे ही थे, न ही कोई साधन। एक दिन उसने आंनद सर की कोचिंग सुपर 30 के बारे में सुना। सुपर 30 उन लड़कों के लिए था जो IIT Entrance Exam की तैयारी करना चाहते थे लेकिन वे आर्थिक रूप से असमर्थ होते थे। जिसकी प्रवेश परीक्षा उन्होंने उत्तीर्ण की और वहाँ हर परीक्षा में टॉप करते गए। आनंद सर के मार्गदर्शन में वह निरंतर आगे बढ़ते गए और 2017 में IIT JEE की परीक्षा में 67, All India Rank लाकर, अपने को साबित कर दिखाया।
अरबाज़ की कहानी जहाँ एक ओर कष्टों और संघर्षों से भरी है तो वहीं दूसरी ओर ज़िन्दगी में विश्वास को कायम रख सफल होना सिखाती है।
अरबाज़ अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और आनंद सर को देते हैं। अगर उनके माँ-बाप ने शिक्षा के प्रति उनका रुझान देखकर उनको इतनी कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ने के लिए प्रेरित नहीं किया होता या हालातों के सामने झुककर उनकी पढ़ाई छुड़वा दी होती तो उनके सारे सपने वहीं टूट जाते। और अगर आनंद सर उनका मार्गदर्शन नहीं करते तो शायद अरबाज़ इतिहास न रच पाते।
अरबाज़ की कहानी मेहनत, लगन और दृढ़-निश्चय का एक अनूठा उदाहरण है। वह अपनी शिक्षा के लिए हमेशा पूरी तरह से समर्पित रहे और निरंतर मेहनत करते रहे। उन्होंने अपनी गरीबी के बावजूद भी कभी हार नहीं मानी और इतनी चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद भी अपने लक्ष्य पर हमेशा अपना ध्यान केंद्रित रखा और उसको पाने के लिये बिना थके, बिना रुके प्रयास करते रहे।
अरबाज़ की सफलता केवल उनकी ही सफलता नहीं है बल्कि ऐसे सभी लोगों के लिये प्रेरणा है जो इस तरह की ही परिस्थितियों में हैं और हार मानकर उनके आगे घुटने टेक देते हैं। अरबाज़ ने हम सब को सिखा दिया है कि परिश्रम और दृढ़-निश्चय के साथ अगर आप अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहें तो कोई भी बाधा, कोई भी परेशानी आपकी सफलता का मार्ग नहीं रोक सकती चाहें परिस्थितियाँ बिल्कुल ही प्रतिकूल हों।
जोश-ओ-जुनून से तय करना पड़ता है सफ़र
ख़्वाबों को हक़ीकत बनाने के लिये
बस चाहिए सुख-चैन खोने का जज़्बा
कुछ भी मनचाहा पाने के लिये
Written by: Tulika Srivastava