“ज़िन्दगी विद ऋचा” के साथ मैं कैसे जुड़ा? शुरूआत से बताता हूँ… साल २००९ की बात है, मैं एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था… महीनों अस्पताल में गुज़ार कर जब घर लौटा तो शरीर बेजान हो चुका था… पूरा दिन दवाइयों की गिरफ़्त में निकल रहा होता था! आँख खुलती तो सामने चल रहे टीवी में लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ को पकड़े खड़े कर्तव्यपरायण रिपोर्टर / एंकर भूत-प्रेत, तिलस्म दुनिया, वीरानों खंडहरों, एक के बाद एक बोरवैल में फँसे बच्चों में मशगूल थे। तभी एक दिन आईबीएन के एक प्रोग्राम “ज़िन्दगी लाईव” पर नजर पड़ी। पूरा एपिसोड देखा… कमाल का कार्यक्रम लगा! आँखें नम हो गई थी! उस दिन से हर दिन “ज़िंदगी लाईव” के नये एपिसोड आने का इंतज़ार रहता… ढेर सारे एपिसोड देखे! सभी एपिसोड में समाज के सच्चे नायकों की कहानियाँ थीं, ज़िंदादिल लोग थे, ज़िंदगी जीना सिखाती कहानियाँ थी, और थीं इन कहानियों के किरदारों से हमारे दिलों के तारों को जोड़तीं बेमिसाल ऋचा अनिरूद्ध!!!

ऐसी कहानियाँ जो मुर्दा जिस्म में जान भर दें! ऐसे-ऐसे लोगों की कहानियाँ जिनके चलने तक पर ज़माने को यकीन न था, लेकिन जब वो दौड़े तो ऐसा दौड़े कि ज़मीन कम पड़ गई!

कुछेक साल “ज़िंदगी लाईव” के एपिसोड देखने के बाद एक दिन अचानक “ज़िंदगी लाईव” की वो चिर-परिचित धुन और वो एकदम घरेलू सी लड़की ऋचा अनिरूद्ध ने टीवी पर आना बंद कर दिया!!! प्रोग्राम बंद हो चुका था! ख़ैर हमने उस दिन से वो चैनल ही देखना छोड़ दिया…

कुछ दिन बाद हम अपनी नयी सोसाइटी में शिफ़्ट हो गए, पता चला “ज़िंदगी लाईव” वाली ऋचा अनिरूद्ध यहीं हमारी सोसाइटी में शिफ़्ट हुई हैं।

फिर एक दिन पता चला कि ऋचा अनिरूद्ध पुन: वैसी ही ज़िंदगी बुनती, ज़िंदादिली और जीना सिखाने वाली आम सी ख़ास कहानियाँ अपने यूटयूब चैनल पर पूरी दुनिया को सुनाना चाहती हैं।

बस जी वो दिन है और आज का दिन है, हम भी “ज़िंदगी विद ऋचा” की टीम का हिस्सा हो गए!

टीम में आये तो परदे के पीछे रहकर दर्शकों तक अद्भुत लोगों की प्रेरक कहानियाँ पहुँचाने वाले कुछ बेहद मेहनती और कर्मठ लोग भी मिले जिनमें फ़रहीन जी, ऋतु भारद्वाज जी, कृतिका जी, श्वेता जी, राकेश जी, दिलीप जी और हँसोढ मिट्टी से बने ओपी डिमरी जी भी हैं… सारे के सारे ऊर्जा से भरे बेहद कमाल के लोग हैं!

“ज़िंदगी विद ऋचा” की सबसे ख़ास बात यही है कि इस कार्यक्रम का केवल और केवल मक़सद अपने दर्शकों के लिए ऐसी अनकुरणीय कहानियाँ पहुँचाने का है जो हम सभी को सोचने पर मजबूर दें। आख़िर हम बदलेगा तो जुग बदलेगा !!!

बस यही कहूँगा कि ऋचा अनिरूद्ध जी की साधना “ज़िंदगी विद ऋचा” में ऋचा जी हमेशा यूँ ही राह दिखाती, जीना सिखाती कहानियाँ बीनती रहें और हम सभी उन शानदार कहानियाँ को देखते रहें!!!

 

~ गौरव त्यागी

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