“ऐसी कहानियाँ जो मुर्दा जिस्म में जान भर दें”

“ज़िन्दगी विद ऋचा” के साथ मैं कैसे जुड़ा? शुरूआत से बताता हूँ… साल २००९ की बात है, मैं एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था… महीनों अस्पताल में गुज़ार कर जब घर लौटा तो शरीर बेजान हो चुका था… पूरा दिन दवाइयों की गिरफ़्त में […]