अभी भी अच्छे से याद है मुझे, उस दिन पहली बार ऋचा जी से मिलना और उनका ये पूछना कि क्या मेरी टीम का हिस्सा बनोगी? मां बनने की जिम्मेदारियों के चलते 3 साल के करियर ब्रेक के बाद ये ऑफर मिलना, जाहिर है खुशी हुई। वैसे भी सत्यमेव जयते जैसे टीवी शो के लिए काम करने के बाद न्यूज चैनलों की मारामारी और नकारात्मक माहौल से दूर ही रहना चाहती थी। यही सोचती थी कि अब वही काम करुंगी जो दिल और दिमाग दोनों को ही सुकून दे।
ऋचा जी के उस सवाल ने कुछ वैसे ही सुकून का एहसास कराया था। उस दिन से आज ‘जिंदगी विद ऋचा’ के सीजन-4 तक का सफर अपने साथ ढ़ेरों अनुभव, अहसास और सीख लेकर आया। इस दौरान निजी जिंदगी में भी बहुत कुछ बदला और साथ साथ बदलती रही मैं।
मालिनी अवस्थी जी के साथ हमारे पहले एपिसोड के शूट के साथ तो एक बहुत खूबसूरत याद जुड़ गई है। उस शूट के बाद जब मैं वापस घर आई तो मुझे पता चला कि मैं फिर से मां बनने वाली हूं और ये बात भी मैंने सबसे पहले ऋचा जी से ही शेयर की। तबसे प्रेग्नेंसी, मेरी बेटी का जिंदगी में आना, हाल ही में उसका पहला जन्मदिन वृक्षारोपण करते हुए मनाना और ‘जिंदगी विद ऋचा’ के तीन सफल सीजन और चौथे सीजन का लॉन्च सब साथ साथ चलता रहा।
‘जिंदगी विद ऋचा’ सिर्फ एक प्रोफेशनल एसाइनमेंट नहीं, मेरे लिए जिंदगी को एक अलग ढ़ंग से देखने का नजरिया है। इसके लिए काम करते करते प्रोफेशनल के तौर पर ही नहीं, एक इंसान के तौर पर भी बहुत कुछ सीख रही हूं। संवेदना, आपसी सरोकार, इंसानियत, सामाजिकता, जो आज की आपाधापी की जिंदगी में हम शायद खोते जा रहे हैं। हमारे आसपास ना जाने कितनी ऐसी कहानियां हैं, जो हमें प्रेरणा देती हैं, जिन्हें देखकर खुशी मिलती है, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया में उनका जिक्र तक नहीं होता। जिंदगी विद ऋचा उन्हीं कहानियों को लोगों तक लाने का प्रयास है।
‘जिंदगी विद ऋचा’ की नायक सीरीज की कहानियों को देखकर जब दर्शक ये इमेल करते हैं कि वो भी अपने आसपास ऐसा कुछ करना चाहते हैं। तब अक्सर मैं ये सोचती हूं कि संवेदनशील जर्नलिज्म समाज में कितना सकारात्मक बदलाव ला सकता है। रोजमर्रा की परेशानियों और अभावों से जूझते लोगों के लिए एक ‘मिसाल’ की कहानी ही सोच और जीवन को बदलने की प्रेरणा बन सकती है।
ऋचा जी से तो हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है। वो अपने आप में एक पूरा संस्थान हैं। हर समय एक्टिव, समय की पाबंद, आत्मियता से भरपूर, अपने हर काम और जिम्मेदारी के लिए ईमानदार। जितना लिखूं कम है। मुझे तो उनमें एक बहुत खास दोस्त मिला है जिससे मैं शायद अपनी हर बात बेझिझक शेयर कर सकती हूं।
सच कहूं तो ‘जिंदगी विद ऋचा’ मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया है और मैं इसकी टीम का एक छोटा सा हिस्सा बनी रहूं यही कामना करती हूं।
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